ताजमहल जो कि दुनिया कि सबसे खूबसूरत स्मारक में से एक है। इसकी सुंदरता को देखने के लिए दुनिया के हर कोने से लोग आते हैं। ताजमहल को मुग़ल काल में बनाया गया था। आजकल ताजमहल काफी विवादों में घिरा रहता है।
ताजमहल को मुग़ल काल कि राजधानी आगरा में बनावाया गया था। ये एक पति पत्नी कि प्यार कि निशानी है। साल 2011 में ताजमहल को अजूबा स्मारक कि लिस्ट में शामिल किया गया था।
हम आपके लिए ताजमहल के बारे मे ऐसे ही रोचक जानकारी लेकर आये हैं। Unknown facts about taj mahal
1) प्यार कि निशानी।
पाँचवे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी तीसरी पत्नी मुमताज़ महल कि याद में ताजमहल को बनवाया था। मुमताज़ महल शाहजहाँ कि सबसे प्यारी पत्नी थी। एक विद्रोह को ज़ब शाहजहाँ कुचलने के लिए निकला तो साथ में मुमताज़ महल भी गयी वहाँ बच्चे कि पैदाइश के दौरान मुमताज़ कि मौत हो गयी।
मुमताज़ कि मौत से शाहजहाँ इतना टूट गया था कि कुछ दिनों तक दरबार में जाना छोड़ दिया था और ज़ब अपने कमरे से निकला तो बाल और दाढ़ी काफी बड़े बड़े हो गए थे। साथ ही में वह ताजमहल बनवाने के इरादे से निकला था।
2) ताजमहल बनाने के लिए विदेशों से आये कारीगर।
अगर आपने ताजमहल देखी है तो ये नोटिस ज़रूर किया होगा कि दीवारों और मीनारों पर अरबी में लिखा हुआ है। इनमे से कुछ लेख क़ुरान से लिए गए हैं।
लेकिन इसलिए तरह के काम करने के लिए कारीगरों को विदेशों से बुलाया गया। दीवारों और मीनारों के लिए उम्दा किस्म के राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, पत्थर जड़ने वाले लाये गए। इसलिए साथ ही आर्किटेक्ट, बढ़ई, सुलेखक और गुमबद बनाने वाले को ईरान और मध्य एशिया से बुलाकर लाया गया।
ताजमहल का नक्शा बनाने वाले उस्ताद अहमद लाहौरी थे। बीस हज़ार कारीगरों ने 22 साल तक लगातार काम किया तक जाकर ताजमहल बनकर तैयार हुआ।
3) उस ज़माने में हुई थी करोड़ो कि लागत।
22 साल तक निर्माण कार्य चलने के कारण तथा महंगे पत्थरो का इस्तेमाल कि वजह से इसमें काफी ज़्यादा पैसे लगे। बहुत कम लोग जानते हैं कि ताजमहल में शाहजहां का भी मकबरा है और शाहजहाँ अपनी मौत से पहले ही मुमताज़ कि क़ब्र के नज़दीक अपना भी मकबरा बनवा लिया था।
4) दिन में अलग अलग रंग में बदलता है ताजमहल।
हम जानते हैं कि सफ़ेद रंग पर जिस रंग की रौशनी पड़ेगी तो उसी रंग का दीखता है। ताजमहल सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है जिसमे काफी चमक है। जब सूर्योदय होता है तो ताजमहल हल्के लाल रंग में दीखता है और फिर सूरज कि रौशनी के अनुसार इसका रंग बदलता रहता हैं।
ताजमहल कि खूबसूरती चाँद कि रौशनी में काफी बढ़ जाती है, क्यूंकि ज़ब चाँद कि सफ़ेद रौशनी सफ़ेद संगमरमर पर पड़ती है तो उसकी चमक और भी बढ़ जाती है।

5) मीनारों को बाहर कि तरफ झुकाया गया है।
अगर आप ताजमहल कि मीनारों पर गौर से देखेंगे तो पता चलेगा कि उसकी मीनारे बाहर कि तरफ हल्का झुकी हुई हैं। ये जानबूझकर झुकाया गया है ताकि अगर कभी मीनारे गिरती है तो मकबरे को कोई नुकसान ना हो। लेकिन लगभग 400 साल गुज़ार चुके हैं और अभी तक मीनारे अपनी जगहसे हिली भी नहीं हैं।
6) यहाँ बनने वाला था ताजमहल।
मुमताज़ कि मौत बुरहानपुर में हुई थी इसलिए शाहजहाँ ने वही पर ताजमहल बनवाने का फैसला किया, और ताप्ती नदी के किनारे पर एक जगह को चुन भी लिया गया था। लेकिन बुरहानपुर तक सफ़ेद सांगमंरमर पंहुचाना बहुत मुश्किल पड़ रहा था। और आगरा जो कि शाहजहाँ कि राजधानी थी वहाँ पर हर जगह से सामानो को आसानी से लाया जा सकता था इसलिए अंततः ये फैसला लिया गया कि ताजमहल आगरा में ही बनेगा।
7) अलग अलग 28 प्रकार के पत्थरों से बना है ताजमहल।
उस ज़माने की बेशकीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। और 28 पत्थरों को अलग अलग देशों से लाया गया था जैसे श्रीलंका, तिब्बत, चीन, और भारत के कई स्थानों से।
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