इतिहास का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट जिसके बाद दुनिया मे सिर्फ 10 हज़ार ही लोग बचे थे।

दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट जिसके बाद दुनिया मे सिर्फ 10 हज़ार ही लोग बचे थे।

इस दुनिया के इतिहास में सैकड़ों ज्वालामुखी विस्फोट हुए हैं और सभी से पृथ्वी पर कुछ न कुछ नुकसान हुआ ही है। लेकिन आज से 74000 साल पहले एक ऐसा ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था जिसमे दुनिया को काफी नुकसान हुआ था।

ये विस्फोट इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर हुआ था जिसको वैज्ञानिकों ने टोबा महा ज्वालामुखी का नाम दिया। इसे दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा ज्वालामुखी कहा जाता है।

हम जानते हैं कि हर ज्वालामुखी विस्फोट में पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से से मैग्मा बाहर निकलता है जिसे लावा कहते है। और यही लावा मिट्टी बनती है लेकिन लावा से मिट्टी बनने में करोड़ो साल लग जाते हैं।

टोबा ज्वालामुखी के विस्फोट से इतना मैग्मा निकला था कि उसके लावा से पूरा अमेरिका ढक सकता था। इससे इतना धुंवा निकला था कि इसने सूरज की रौशनी को लगभग ब्लॉक कर दिया था और बहुत ही कम मात्रा में पृथ्वी पर सूरज की किरणें पहुँच पाती थी, जिसके वजह से पृथ्वी का तापमान में लगभग 5 डिग्री सेल्शियस का गिरावट देखने को मिला था।

ये विस्फोट इतना ज्यादा खतरनाक था कि माना जाता है कि इंसान लगभग दुनिया से खत्म हो गये थे। एक थ्योरी के अनुसार पूरी दुनिया मे सिर्फ 5 से 10 हज़ार ही इंसान बचे थे।

ज्वालामुखी विस्फोट

फिर वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया कि आखिर ये लोग बच कैसे गए? रिसर्च में पता चला जो भी लोग बचे थे उनके जीन(Gene) दुनिया के और लोगो के जीन से अलग था और दुनिया के और लोगों के जीन से अलग होने के कारण ही ये लोग बच पाए।

इन लोगो के अंदर पाये जाने वाले जीन की वजह से विस्फोट से निकले रेडिएशन से कोई नुकसान नही हुआ था।आज के दिन दुनिया मे जितने भी लोग मौजूद हैं उन सभी मे वही जीन मौजूद है, जिसके वजह से वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला कि आज दुनिया के जितने भी लोग मौजूद हैं इन सभी के पूर्वज वही 5 से 10 हज़ार ही लोग हैं।
इस घटना को Genetic Bottleneck कहा जाता है इंसानों के इतिहास में।

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