अप्रैल की पहली तारीख को हर जगह मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसमे लोग एक दूसरे को मूर्ख बना कर इसको मनाते हैं।
किसी और दिन अगर किसी को बेवकूफ बनाया जाए तो शायद वो गुस्सा करेगा लेकिन मुर्ख दिवस पर कोई भी गुस्सा नही करता है। लेकिन फिर मज़ाक भी एक सीमा में ही करनी चाहिए।
अगर देखा जाये तो इतिहास में मुर्ख दिवस मनाने के कोई ठोस सबूत नही मिलते हैं, लेकिन इसके सम्बंधित कई कहानियां प्रचलित है जिसके कारण ये मूर्ख दिवस मनाया जाता है।
1) 1 अप्रैल 1860 लन्दन में काफी मशहुर हुआ था, जिसे आज तक लोग याद करते हैं। दरअसल लंदन के कई हज़ार लोगों को पोस्ट कार्ड द्वारा एक सूचना मिली जिसमे ये लिखा हुआ था कि आज शाम टावर ऑफ लंदन में सफेद गधों को नहलाया जायेगा और इस कार्यक्रम के लिए आपको आमंत्रित किया गया है, और कृपया कार्ड के साथ ही आवें।
टावर ऑफ लंदन में आम लोगो का जाना सख्त मना था, इसी वजह से कार्ड मिलने के बाद सभी लोग उत्साहित हो गए।
शाम होते ही टावर ऑफ लंदन के पास हज़ारो की भीड़ जमा हो गयी और अंदर जाने के लिए धक्का मुक्की होने लगा। और फिर बाद में ये पता चला कि किसी ने ये मज़ाक किया है और उसके बाद लंदन में अप्रैल फूल को जोर शोर से मनाया जाने लगा।
2) उससे भी पहले सन 1392 में यूरोप के एक किताब में अप्रैल फूल का जिक्र किया गया था, जिसमे बताया गया था यूरोप के राजा की सगाई पास ही के एक राजकुमारी के साथ तय कर दी गई और उसके लिए सबको 32 मार्च 1381 के लिए न्योता भी भेजा गया, लेकिन बाद में पता चला कि राजा ने अपने जनता के साथ मजाक किया था। और उसके अगले साल से 32 मार्च यानी 1 अप्रैल से वहाँ अप्रैल फूल मनाया जाने लगा। क्योंकि लोग उस ज़माने में कैलेंडर के बारे में ज़्यादा नही जानते थे इसलिए वो 32 मार्च की तारीख को नही समझ पाये थे।
3) साल 1582 से पहले यूरोप के सभी जगहों पर एक ही कैलेंडर का इस्तेमाल होता था, जिसमे नया वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होता था। लेकिन 1582 में नए राजा ने कैलेंडर को बदल दिया और नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से घोषणा कर दी। लेकिन बहुत से लोग राजा के इस फैसले से खुश नही थे और वो नया साल 1 अप्रैल को मनाते थे, बाद में लोग उनको मूर्ख समझने लगे जिसके वजह से धीरे धीरे लोग 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाने लगे।
4) यूनान में कहा जाता है कि सदियों पहले वहाँ एक राजा काफी खुश मिजाज और हस मुख था। एक रात उसने सपना देखा कि उसे एक चींटी ने निगल लिया और जब उसकी आंख खुली तो वह बहुत जोर जोर से हंसने लगा, बाद में जब रानी को पता चला तो वो भी हंसने लगी और फिर पूरा राज्य उस सपने की वजह से हंसा।
फिर ज्योतिष ने आकर बताया कि राजा साहब उस सपने का मतलब ये है कि आप इस दिन लोगों से खूब मजाक और हंसाये जिससे राज्य की भलाई होगी। फिर राजा ने उस दिन से हर साल हंसने और हंसाने वाला दिन घोषित कर दिया। जिस दिन राजा ने वो सपना देखा था वो 1 अप्रैल था।
5) हम जानते हैं कि हमारा देश यूरोपीय द्वारा लगभग 300 सालो से ज़्यादा तक ग़ुलाम बनाया गया था। और अंग्रेज भारत मे भी अप्रैल फूल दिवस मनाने लगे, जिसके वजह से भारत मे भी मुर्ख दिवस मनाया जाने लगा।