कैसे महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल को एक अच्छा इंसान बना दिया।

अंगुलिमाल का कहर।

मगध राज्य के श्रावस्ती में डाकू अंगुलिमाल का कहर बहुत ज़्यादा बढ़ गया था। उसने कसम खायी थी कि वो 100 लोगों को मारकर उनकी उंगलियों से माला बनाकर अपने गुरु को भेंट करेगा।

इसके लिए उसने बहुत से लोगो को मारा था, जंगल मे कोई भी इंसान अगर दिख जाता था तो अंगुलिमाल उसको मार देता था। जिससे लोगों ने जंगल मे जाना छोड़ दिया।

उँगलिमान जंगल के एक पहाड़ी के चोटी पर रहता था, जंगल जब सारे लोग जाना छोड़ दिये तब भी उँगलिमान की मां हमेशा अंगुलिमाल से मिलने जाय करती थी।

लेकिन जब उँगलिमान ने 99 लोगों को मार दिया तो फिर उसे एक आदमी को ढूंढ कर मारना था, लेकिन उसको कोई आदमी मिल नही रहा था। फिर उसने सोचा कि क्यों न वो अपनी माँ को ही मारकर अपनी कसम पूरा कर ले।
जैसे ही उसकी माँ उससे मिलने पहुंची तो उसने अपनी मां पर हमला किया लेकिन उसकी मां किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग गई।

उसी समय मे महात्मा बुद्ध श्रावस्ती से गुज़र रहे थे तो बहुत से लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि पूरा गांव उँगलिमान डाकू के खौफ में जी रहा है। महात्मा बुद्ध ने लोगो को आश्वासन दिया कि वो उँगलिमान को सीधे रस्ते पर ला देंगे।

परन्तु लोगों ने मन किया कि भगवान उस तरफ ना जाएं उँगलिमान बहुत ही खतरनाक है इस पर भगवान बुद्ध मुस्कुरा दिए और पूछा कि किस तरह मिलेगा ये उँगलिमान तो उनमें से एक आदमी ने पहाड़ी की इशारा किया।

लोगों के लाख मना करने के बावजूद भगवान बुद्ध उस तरफ जाने लगे। जब वो पहाड़ी की ऊंचाई पर पहुँचे तो उँगलिमान बिल्कुल खुश हो गया क्योंकि उसका शिकार चलकर खुद उसकी तरफ आरहा था, वो जल्दी से अपना हथियार लेकर बुद्ध की तरफ बढ़ा, लेकिन भगवान बुद्ध बिल्कुल भी भयभीत नही हुए और उसे देख मुस्कुरा रहे थे।

ये उँगलिमान थोड़ा असमंजस में आ गया की ये कौन है जो मुझे देखकर डरा नही।उसने कहा कि तुम्हे शायद पता नही मैं कौन हूँ, चलो अच्छा हुआ कि तुम आ गये अब मैं तुम्हे मारकर अपना कसम पूरा कर लूँगा।

इस पर भगवान बुद्ध ने कहा कि मैं भी चाहता हूँ कि तुम्हारा कसम पूरा हो जाये इसलिए मैं खूद तुम्हारे पास चलकर आया हूं। लेकिन मुझे मारने से पहले मेरा एक आखिरी काम कर दो।

अंगुलिमाल

उँगलिमान ने पूछा जल्दी बोलो मुझे क्या करना है।
भगवान बुद्ध ने वहाँ मौजूद पेड़ से एक टहनी तोड़ने को कहा इस पर जल्द ही उँगलिमान ने तोड़ दिया। फिर भगवान बुद्ध ने कहा कि इस टहनी को वहीं पर जोड़ दो, इस पर उँगलिमान ग़ुस्सा हो गया और बोला कि ये कैसे हो सकता है भला, जो चीज़ एक बार टूट जाती है वो जुड़ती नही है।

इसपर भगवान ने कहा कि इस संसार मे तोड़ना बहित आसान है लेकिन जोड़ना बहुत ही मुश्किल है। ठीक उसी प्रकार लोगों को मारना बहुत आसान है लेकिन उनको फिर से जिंदा करना बहुत ही मुश्किल है।

ये सब सुनकर उँगलिमान ने अपने घुटने टेक दिए और भगवान के चरणों मे गिरकर क्षमा की गुहार लगाने लगा।भगवान ने कहा कि अभी से भी कुछ नही हुआ है तुम मेरे साथ चलो। उस दिन से उँगलिमान उनका शिष्य बन गया।और बाद में एक विद्वान बन गया।

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