फिल्मों में अक्सर ये दिखाया जाता है कि आर्मी वाले या पुलिस वाले किसी मिशन पर जाने से पहले बुलेटप्रूफ जैकेट पहन कर जाते हैं। लेकिन इसके बाद भी सर, गला और कमर के नीचे के हिस्से पूरी तरह से खुले होते हैं।
वैसे तो ये जैकेट नाज़ुक जगह को बचाने के लिए बनाए जाते हैं। लेकिन क्या ये नाज़ुक जगह बुलेटप्रूफ पहनने के बाद भी गोली से बच जाते है? इसके बारे में आइये जानते हैं।
बुलेटप्रूफ जैकेट असलियत:
ये जैकेट असलियत में उतनी बुलेटप्रूफ नही होती जितनी फिल्मों में दिखाया जाता है। एक पिस्तौल से निकली गोली की रफ्तार लगभग 50 मीटर प्रति सेकंड होती है। इस गोली से तो Bulletproof Jacket बचा लेती है। लेकिन एक राइफल से निकली हुई गोली की रफ्तार लगभग 1000 मीटर प्रति सेकंड होती है जो पिस्टोल की गोली से बहुत ही ज़्यादा तेज़ी से आती है।
इस गोली से जैकेट नही बचा पाती है और ये बड़े ही आराम से छेद देती है। इस दुनिया मे बहुत से खतरनाक बंदूक है जिनके लिए बुलेटप्रूफ जैकेट कुछ भी नही है जैसे AK-47 और दूसरे एडवांस बंदूक।
एडवांस बुलेटप्रूफ जैकेट को भी बनाया गया है लेकिन इससे बुलेटप्रूफ जैकेट काफी मोटा और भारी हो जाता है जो अगर किसी मिशन पर पहन कर जाते हैं तो शरीर को जकड़ कर रखता है। इसलिए उस तरह के बुलेटप्रूफ जैकेट किसी मिशन पर नही पहना जाता है।

एक बात और नोट करने वाली होती है की जब भी जैकेट किसी गोली को रोकती है तो शरीर पर उसके निशान रह जाते है और शरीर को काफी चोट लगती है। कभी कभी इसके बावजूद गोली पसलियों को तोड़ देती है।
छोटी बंदूक के हमले से तो ये बुलेटप्रूफ बचा सकती है लेकिन बड़ी बंदूक के लिए बुलेटप्रूफ कुछ भी नही है। तो ऐसे में जैकेट बस हमारे दिमाग मे ये बैठा देता है कि उसके पहनने के बाद आदमी सुरक्षित होता है। लेकिन सच्चाई कुछ और ही होता है।