क्या 5G नेटवर्क सच मे इंसानों के लिए खतरा है?

अक्टूबर 2022 मे ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 5G नेटवर्क भारत के कई शहरों मे लॉन्च किया गया है। जल्द ही उन जगहों पर 5G सेवा शुरु करदी जायेगी।

आइये जानते है, 5G नेटवर्क का क्या है सच और क्या है झूठ।

जब करोना का शुरुआती दौर चला रहा था तो कई बड़े बड़े देशों मे 5G नेटवर्क मोबाइल टावर पर हमलो की खबर आयी।
अप्रैल 2020 मे सिर्फ ब्रिटेन देश मे 77 मोबाइल टावर को जला दिया गया था। इसके साथ फ्रांस, नेदरलैंड, इटली व कई अन्य यूरोपीय् देशों मे मोबाइल टावर पर हमले देखने को मिले।

इन देशों मे मोबाइल टावर पर हमले की वजह थी सोशल मीडिया पर 5G नेटवर्क की वजह से होने नुकसानों को बताया गया था जो काफी वायरल हो रहा था।

ये पहली बार नही हुआ था, जब दुनिया मे कोई नई टेक्नोलोजी आने के बाद उसके बारे मे कहानियाँ बनाई गयी थी।
जब 90 के दशक मे मोबाइल फोन आया तो ये अफवाह फैलाई गयी की कान पर मोबाइल रख कर बात करने से कान का कैन्सर होता और, जिसके बाद मोबाइल कम्पनियों पर कई केस फाइल किये गये।

कोर्ट ने इस तरह के केस ख़ारिज ज़रूर कर दिया लेकिन काफी लम्बे समय तक लोगो मे मोबाइल के प्रति डर बैठा रहा। 1993 मे एक व्यक्ति टीवी पर लाइव आकर अपनी पत्नी की ब्रेन ट्यूमर की वजह मोबाइल फोन बताया था और इसके लिए उसने 3 मोबाइल कम्पनियों को ज़िम्मेदार ठहराया।

5G नेटवर्क


इतिहास गवाह है की जब भी दुनिया मे किसी नही चीज़ का अविष्कार हुआ है ये लोगो के मन मे हमेशा डर रहा है।
जब दुनिया मे पहली बार रेलगाड़ी आयी तो लोगों मे ये बात फैल गयी की गाडी के तेज़ चलने के करण बीमारियां होती है। यहाँ तक की एक डॉक्टर ने ये कहा की रेलगाड़ी के तेज़ चलने के करण रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुँचती है।


बाद मे एक और डॉक्टर ने कहा की रेलगाड़ी मे यात्रा करने से आदमी को तनाव होने लगता की, इसलिए लोगों को रेलगाड़ी से सावधानी बरतनी चाहिए। 20वी सदी के शुरआती दौर मे जर्मनी मे बड़े पैमाने पर दवाइयाँ बनाई जाति थी जिसकी सप्लाई पूरे दुनिया मे की जाति थी। साल 1917 मे जब अमेरिका और ब्रिटेन मे स्पेनिश फ़्लू फैला तो लोगों ने जर्मनी से बनी हुई दवाइयों को इसका ज़िम्मेदार ठहराया।

क्यूंकि उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। ठीक उसी प्रकार करोना वैक्सीन को लेकर अफवाहे फैली थी, जिसके बाद बहुत से लोगों ने वैक्सीन लेने से इंकार कर दिया। 19वी सदी मे जब पहली बार वैक्सीन का अविष्कार हुआ था तब वैक्सीन के खिलाफ दंगे भी हुए थे।

अब दुनिया मे 5जी के प्रति लोगों मे डर बैठा है। जिसपर WORLD HEALTH ORGANISATION (WHO) का कहना है एक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से इंसान के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नही पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद लोगों मे 5G नेटवर् के नए तकनीक की वजह से डर है।

जनवरी 2020 मे बेल्जियम के एक अख़बार की ये छपा की 5जी मानव के लिए काफी घातक है और वो आर्टिकल एक डॉक्टर के द्वारा प्रकाशित किया गया था जिससे लोग यकीन भी करने लगे थे। बाद मे डॉक्टर ने ये कहा की उन्हे इस बात का कोई पक्का सबूत नही है।


उसी दौरान फेसबुक पर करोना की असली वजह 5G नेटवर्क बताया गया। लेकिन उनके पास भी उस पोस्ट के संबंधित कोई द्लील नही थी।

एक और कंस्पिरेसी थ्योरी के हिसाब से लॉकडाउन इसीलिए लगाया गया था ताकि 5जी का नेटवर्क आसानी से बिछाया जा सके। और करोना वैक्सीन इसलिए लगाया जा रहा था की 5G नेटवर्क से निकलने वाले रडिएशन से बचा जा सके।

WHO ने सभी थ्योरीज को नाकार दिया क्यूंकि सभी ग़लत है या फिर उसका कोई सबूत नही है। इसीलिए विकसित देशों मे 5G नेटवर्क पर बड़े ही ज़ोरशोर से काम चल रहा है, क्यूंकि इसके आते ही दुनिया मे सभी के लाइफस्टाइल बदल जाएंगे।

जल्द ही 5G नेटवर्क सभी देशो मे छा जाएगी फिर लोगों के मन से डर खत्म हो जायेगा और इंटरनेट की दुनिया को एक ज़बरदस्त बूस्ट मिलेगा।

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