जब समुद्र बर्फ बन जाता है तब भी ये पानी मे रहने वाला जानवर बिना खाये पिये रहता है ज़िंदा।

प्रकृति ने बहुत से अलग अलग प्रकार के जीव बनाये हैँ। कुछ जानवर ऐसे हैँ जो ज़्यादा तापमान मे नही रह सकते हैँ वही कुछ ऐसे हैँ जो कम तापमान मे नही रह सकते हैँ। ऐसे मे अलग अलग जीव का भौगोलिक क्षेत्र अलग होता है।

जब सर्दी का मौसम आता है तो बड़े बड़े नदियाँ, झील, तालाब सब बर्फ बन जाते हैँ जिसके वजह से बहुत से पानी मे रहने वाले जीव मर जाते हैँ, लेकिन मगरमच्छ एक ऐसा जीव है जो लम्बे समय तक बर्फ मे रहने के बावजूद मरता नही है।

जैसे जंगल का राजा शेर को कहा जाता है ठीक वैसे ही पानी का राजा मगरमच्छ को कहा जाता है। अगर कोई मगरमच्छ के इलाके मे पानी मे गया तो फिर बाहर मगरमच्छ के मर्जी से ही निकल पाता है।

सर्दी के मौसम मे जितने भी पानी मे रहने वाले जीव हैँ उन्हे ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है, इसलिए जैसे जैसे सर्दी का मौसम आने लगता है पानी मे रहने वाले जीव उस जगह को छोड़ कर दूसरी जगह जाने लगते हैं लेकिन बहुत से ऐसे जानवर जो सर्दी मे जल्दी से उस जगह को छोड़कर नही जाते हैं या तो फिर वो मर जाते हैं या फिर वो बहुत मुश्किल से जिंदा रहते हैं।

आखिर ठंडी के मौसम मे घड़ियाल कैसे ज़िंदा रहता है?

जब ठंड बढ़ने लगती है तो सबसे पहले तालाब, नदी या समुन्द्र का ऊपरी सतह पर मौजूद पानी बर्फ बनने लगता है, लेकिन निचे का पानी जल्दी से ठंडी नही होती है। इस प्रकार निचे के पानी मे मौजूद ऑक्सीजन से घड़ियाल व दूसरे जानवर सांस लेते हैं।

फिर जब और ठंडी बढ़ती है तो निचे का पानी भी छोटे छोटे कण मे तब्दील होने लगते हैं जिससे ऑक्सीजन उस कण मे बंद हो जाता है। इस स्टेज पर आकर पानी के जीवों को सांस लेने मे दिक्कत होने लगती है।

घड़ियाल इस स्टेज मे भी आसानी से सांस ले सकता है क्यूंकि वो पाानी के कण जो बर्फ बन चुके हैं उनको अपने पेट मे लेकर पहले पानी के रूप मे आने का इंतज़ार करता है और जब वो कण पानी बन जाता है तो उससे ऑक्सीजन् सोख लेता है।

लेकिन सबसे मुश्किल समय तब आता है जब किसी झील या नदी का सारा पानी बर्फ बन जाता है, ऐसे मे सांस लेने के लिए घड़ियाल अपना मुंह पानी की सतह जो बर्फ बन गयी होती है उससे उपर रख कर रहते है और हवा से सांस लेते है।

ऐसे हालत मे उनकी चमड़ी बड़े ही काम आती है और उन्हे ठंड लगने से बचाती है क्यूंकि उनकी चमड़ी काफी मजबूत और बिना असरदार वाली होती है। मगरमच्छ बिना शिकार के भी कई महीनो तक रह सकता है लेकिन इस दौरान वो मरते तो नही लेकिन काफी कमज़ोर ज़रूर हो जाते हैं। ऐसे मे जब ठंडी का मौसम खत्म होता है तो मगरमछ अपनी भूक मिटाने के लिए फिर से शिकार करना शुरु कर देता है।

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