हमलोग जब भी किसी बड़े सिनेमाघरों में फिल्में देखने जाते हैं तो वहाँ पॉपकॉर्न अक्सर लोग खाना पसंद करते हैं, लेकिन वो काफी महंगे होते है।अक्सर हमारे दिल मे ये ख्याल आता है कि Why popcorn is expensive at movies मतलब ये की आखिर ये सिनेमाघर की पॉपकॉर्न या दूसरी चीजें इतनी महंगी होती क्यों है?
आइये जानते हैं आपके सवाल “Why popcorn is expensive at movies” का जवाब ।
एक कारण ये भी है कि अगर सिनेमा वाले पॉपकॉर्न की जगह फिल्मों की टिकट के दाम बढ़ा दे तो लोग सिनेमाघरों में फ़िल्म देखने कम जाएंगे। इसलिए सिनेमाघर वाले फ़िल्मों की टिकट के दाम कम रखते है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके।
जब ये लोग सिनेमाघरों में कदम रखते हैं तो बाहर से सामान ले जाना मना होता है फिर लोग मजबूरन पॉपकॉर्न जैसी चीज़ें अंदर से ही खरीदते है। और सिनेमाघर वाले उस पर काफी ज्यादा रेट फिक्स कर देते है। इस तरह से सिनेमा वाले टिकट के कम रेट के बावजूद अच्छी कमाई कर लेते है।
लेकिन इससे ज़रूरी कारण ये है कि हर थिएटर अपने बिज़नेस मॉडल के आधार पर चलता है। सिनेमाघरों को अपने टिकट से कमाए हुए पैसे में से फ़िल्म बनाने वालों को देनी पड़ती है। यहां तक कि फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद पहले सप्ताह की कमाई का 50% पैसा फ़िल्म बनाने वालों को देना पड़ता है।

हर सप्ताह में फ़िल्म बनाने वालों के लिये रेट तय होता है। चुकी ये सिनेमाघर वाले तो टिकट बेचकर ज्यादा पैसा नहीं कमा पते, तो ये दूसरे ज़रिये ढूंढते हैं पैसे कमाने के, इसलिए ये लोग खाद्य पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी कर देते हैं।
तीसरा कारण ये है कि अगर पॉपकॉर्न को सस्ता बना दिया गया सिनेमाघरों में तो सिनेमा में जाने वाले हर कोई पॉपकॉर्न खरीदना चाहेगा, जिसकी वजह से काफी भीड़ लग सकती है। और पॉपकॉर्न के लिए ज़्यादा भीड़ को कंट्रोल करने के लिए ज़्यादा काउंटर और ज़्यादा स्टाफ की ज़रूरत पड़ेगी। जिसके वजह से सिनेमाघरों को और खर्चे उठाने पड़ेंगे।इसलिए सिनेमाघर वालों में पॉपकॉर्न को ऊँचे दामों पर बेचने के फैसला किया।
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