क्या था शतरंज का इतिहास। History of Chess Game in Hindi.

शतरंज का इतिहास:

शतरंज के खेल की शुरूआत प्राचीन काल मे भारत से ही हुई थी। इसके बाद पूरे दुनिया भर में खेला जाने लगा।लेकिन जब भारत मे पहली बार शतरंज बनाया गया था, तो इसे खेलने के लिए नही बनाया गया था।

जी हाँ आपने ठीक पढ़ा है, शतरंज का खेल सबसे पहले युद्ध की नीतियों को बनाने के लिए बनाया गया था।
शतरंज की वजह से बहुत अच्छी युद्ध नीति बनाई जाती थी जिससे जीत निश्चित हो जाता था। लेकिन बहुत कम ही राजा शतरंज के वजह से युद्ध नीति बना पाते थे।

क्योंकि बहुत से राजाओं को शतरंज के नियम नही मालूम थे। बहुत से लोगो को नियम मालूम होने के बावजूद युद्ध नीति में इसका इस्तेमाल नही करना जानते थे। शतंरज एक ऐसा खेल है जिसमे एक गलती के वजह से पूरे युद्ध की नीति बदल जाती है।

सबसे पहले शतरंज का जिक्र रामायण में मिलता है जिसमे रावण ने मंदोदरी को अपनी युद्ध नीति को समझाने के लिए शतरंज की बोर्ड जैसी एक लकड़ी का इस्तेमाल किया था।

इसके बाद चाणक्य ने 5वी शताब्दी (ईसा पूर्व) में अर्थशास्त्र में लिखा है की उन्होंने चतुरंग नाम का एक खेल विकसित किया है जिसकी मदद से राजाओं को प्यादे, घोड़े, हाथी और शाही सेना (वजीर, राजा) के बारे में समझाई जाती थी।

शतरंज का इतिहास

Chess history in hindi:

ये खेल सऊदी अरब में बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध हुआ क्योंकि उस जमाने मे सिर्फ अरब के लोग ही भारत से व्यापार करते थे। क्योंकि अरब में ऊंट बहुत ज़्यादा पाया जाता है तो अरब वालों ने इस खेल में ऊंट को भी शामिल कर लिया। इस खेल का नाम शतरंज उन्होंने ही दिया था।

अरब वाले भारत से कपड़े और महंगी चीज़े खरीदकर यूरोप में बेचते थे और इसी वजह से शतरंज भी यूरोप में पहुंच गया और वहाँ उसे बड़े पैमाने पर खेल जाने लगा। और यूरोप देश मे ही आम लोगो द्वारा इस खेल को खेलने की शुरुआत हुई थी।

फिर इस खेल के नियम भी बना दिये गए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनाया गया। इसके बाद ही भारत के राजा महाराजा शतरंज को मनोरंजन के तौर पर इस्तेमाल करने लगे। और अपने किसी खास दोस्त या फिर दरबार के मंत्री के साथ शतरंज में युद्ध नीति लगा कर खेलने लगे। और देखते ही देखते इसमे रुचि आने लगी और ये खेल के रूप में उभरने लगा।


शुरुआत में तो सिर्फ राज घराने वाले ही इस खेल को खेला करते थे। फिर बाद में आम लोग भी खेलने लगे।