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क्या Akhand Bharat बनने जा रहा है भारत ?

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Akhand Bharat:

जब भारत अपनी संस्कृति और पहचान के लिए पूरे विश्व मे प्रसिद्ध था उस समय भारत का नक्शा कुछ और ही था जिसे अखण्ड भारत के नाम से जानते है। ये दावा किया जाता है कि अखण्ड भारत आधुनिक समय के अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश,

भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल,पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत जैसे देशों से मिलकर बना था।

क्या है अखण्ड भारत का कांसेप्ट ? Akhand Bharat Map

अखण्ड भारत को लेकर अलग अलग लोगों कि अलग धारणाएं हैं। ज़ब लोगों से बात किया गया तो 4 प्रकार के बातें सुनने को मिली।

1) पहले धारणा के हिसाब से भारत के साथ पाकिस्तान और चीन के द्वारा अधिकृत कश्मीर का हिस्सा ही अखण्ड भारत है।
2) दूसरे धारणा के अनुसार साल 1947 से पहले का भारत जिसमे हिंदुस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक ही थे।

3) तीसरी धारणा के अनुसार,पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश को अगर भारत मे मिला दिया जाए तो वो होगा अखण्ड भारत।

4) चौथी धारणा के अनुसार, भारत के साथ अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान,कॉम्बोड़िआ, इंडोनेशिया, ईरान , मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड देशों को मिलाकर अखण्ड भारत का निर्माण होगा।

Akhand Bharat

कहाँ से आया अखण्ड भारत का कांसेप्ट?

हिन्दू धर्म के पूजा पाठ मे अक्सर पंडित द्वारा “जम्बूद्वीपे भारतखण्डे आर्यव्रत देशनगंर्ते” मंत्र का इस्तेमाल किया जाता है। इस मंत्र मे धरती के सभी 7 द्वीप (जम्बू, प्लक्ष, शालमल, कुश, करौन्च, शाक एवं पुष्कर) का वर्णन किया गया है। जिसमे जम्बू द्वीप का मतलब आज का एशिया महाद्वीप है। इसके अनुसार अनुसार जम्बु द्वीप पृथ्वी के मध्य मे स्थित है और इसे ही अखण्ड भारत कहा जाता था।


कैसे अखण्ड भारत (Akhand Bharat) टुकड़ों मे बिखर गया?

जम्बू द्वीप पर पहले हिन्दू शासन हुआ करता था लेकिन समय के साथ हिन्दुओं का शासन घटकर सिर्फ भारतवर्ष तक ही सिमित रह गया। उसके कई सालो बाद कुरुओं और पुरुओं मे युद्ध हुआ जिसके बाद आर्यावर्त्त नामक क्षेत्र की शुरुआत हुई। जिसमे आज का हिंदुस्तान, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान शामिल था।

उसके बाद माध्यकाल मे भारत पर हुए लगातार आक्रमण से भारतवर्ष कई टुकड़ों मे बिखरता चला गया।

अखण्ड भारत से कब अलग हुए सभी देश?

बहुत से ग्रंथो मे अखण्ड भारत के अलग अलग हिस्सों का अलग होने का जिक्र किया गया है। लेकिन वो हिस्से कब अलग हुए हैं इसका वर्णन नहीं मिलता है।

साल 185 ईसा पूर्व मे मौर्य सम्राज्य के पतन के साथ ही अखण्ड भारत पूरी तरह से बिखर गया। फिर उत्तर भारत मे शांग, किन, शाक, सातवाहन और कुषाणों का शासन हो गया वहीं दक्षिण भारत मे चोल, चेर और पंड्या जैसे कई सम्राज्य बन गए।

इतिहास के माध्यम से सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा(म्यांमार) के अलग होने कि जानकारी प्राप्त होती है।

1) अफ़ग़ानिस्तान: साल 1876 मे रूस और ब्रिटेन के बीच गण्डामक सन्धि हुई जिसके बाद अंग्रेज़ों ने अफ़ग़ानिस्तान को भारत से अलग कर दिया और एक नये देश के रूप मे मान्यता देदी।

2) भूटान: वैसे तो भूटान के लोग इस बात से इंकार करते हैं कि भूटान भारतवर्ष का हिस्सा रहा है। लेकिन भारत के गयी ग्रंथों मे भूटान का वर्णन मिलता है। साल 1906 मे अंग्रेज़ों ने भूटान के राजा को एक अलग राज्य घोषित कर दिया।

3) पाकिस्तान : शुरुआत से ही पाकिस्तान भारत का हिस्सा रहा है लेकिन साल 1857 कि क्रांति के बाद अंग्रेजों को भारत पर शासन करने काफी परेशानी होने लगी थी। जिससे निपटने के लिए अंग्रेजों ने एक नये हथकंडे “फूट डालो शासन करो” का इस्तेमाल किया। जिसके वजह से भारत मे कई बार दंगे हुए और धीरे धीरे एक अलग देश कि मांग उठने लगी। जिसके बाद साल 1947 मे भारत का पश्चिमी हिस्सा अलग हो गया और पाकिस्तान देश का जन्म हुआ।


4) बांग्लादेश: बांग्लादेश शुरुआत मे पाकिस्तान के साथ ही था लेकिन सत्ता कि लड़ाई कि वजह से बांग्लादेश का पाकिस्तान से मतभेद हो गया। और इंदिरा गाँधी ने साल 1971 मे पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और इस प्रकार बांग्लादेश का जन्म हुआ।

5) बर्मा(म्यांमार): साल 1935 मे अंग्रेजों ने गोवेर्मेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट लेकर आये जिसके बर्मा को भारत से अलग करना था, और इसी एक्ट के तहत बर्मा को साल 1937 मे भारत से अलग कर दिया गया।

6) श्रीलंका: अखण्ड भारत मे श्रीलंका कभी चोल और पंड्या सम्राज्य का हिस्सा रहा था लेकिन साल 1310 श्रीलंका भारत से अलग हो गया। बाद मे अंग्रेजों ने भारत के साथ श्रीलंका पर भी कब्ज़ा किया लेकिन उसे कभी भारत का हिस्सा नहीं माने।

अखण्ड भारत का इतिहास। History of Akhand Bharat.

भारत की हड़प्पा सभ्यता मे पुरातत्विक साक्ष्य मिले थे। जिसको स्टडी करने के बाद ये पता चला कि ये साक्ष्य करीब 8000 साल पुरानी है। जबकि हड़प्पा सभ्यता लगभग 4000 साल पुरानी है। जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि अखण्ड भारत हड़प्पा संस्कृति से भी पहले था क्यूंकि वैदिक काल मे अखण्ड भारत कई टुकड़ों मे बंट चूका था।

साल 321 ईसा पूर्व मे चन्द्रगुप्त मौर्या ने सभी बिखरे हुए हिस्सों को मिलाकर फिर से अखण्ड भारत बनाने कि कोशिश की थी। और इसमें बहुत हद तक सफल भी हुए थे। लेकिन उनके देहांत के बाद फिर से अखण्ड भारत अलग अलग हिस्सों मे बँटने लगा।

अखण्ड भारत का विस्तार।

साल 322 ईसा पूर्व मे चन्द्रगुप्त मौर्या ने चाणक्य के मार्गदर्शन से नन्द सम्राज्य के आख़री राजा धना नन्द को हरा कर सम्राट बने थे। सम्राट बनते ही आसपास के हिस्सों पर चढ़ाई कर दिए और एक के बाद एक हिस्से को जीतते गए फिर 305 ईसा पूर्व मे दुनिया का सबसे महान राजा सिकंदर के इलाके पर हमला बोल दिया जिसमे चन्द्रगुप्त मौर्य कि जीत हुई।

इस प्रकार मौर्य सम्राज्य पश्चिम मे फारस (आज का ईरान) से लेकर पूर्व मे बंगाल तक और उत्तर मे हिमालय से लेकर दक्षिण मे कन्याकुमारी तक फैला था। कई इतिहासकार इसे ही अखण्ड भारत (Akhand bharat) कहते हैं।

भारत के नये संसद मे अखण्ड भारत (Akhand Bharat )का नक्शा।

हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नए संसद भवन का उदघाटन किया गया है जिसमे अखण्ड भारत (Akhand Bharat) का नक्शा देखने को मिलता है। जिसमे गौतम बुद्ध के जन्मस्थान लुम्बिनी, पुरुषपुर, उत्तराप्रस्थ एवं सौवीर जैसे प्रसिद्ध शहर को दिखाया गया है। आपको बता दें कि ये सभी शहर आज के नेपाल और पाकिस्तान मे स्थित है।

संसद भवन मे लगे अखण्ड भारत के नक़्शे मे पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार को भारत का हिस्सा बताया गया है।

अखण्ड भारत के नक़्शे को लेकर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश ने अपनी नाराज़गी जाहिर की है। नेपाल ने इसके विरोध मे ग्रेटर नेपाल का नक्शा जारी किया है जिसमे भारत के कई हिस्से को नेपाल मे दिखाया गया है।

संसद भवन मे लगे नक्शे पर भारत का तर्क।

Akhand Bharat

जबसे अखण्ड भारत का नक्शा न्यूज़ मे आया है तबसे भारत सरकार पर सवाल उठाये जाने लगे है। लेकिन भारत का कहना है कि ये सिर्फ एक सांस्कृतिक नक्शा है जो सम्राट अशोक के सम्राज्य को दर्शाता है। इसके अलावा ये कोई पोलिटिकल मैप नहीं है बल्कि ये एक सांस्कृतिक नक्शा है।

भले ही भारत सरकार ने इसे सांस्कृतिक नक्शा बताया है लेकिन भारत सरकार एवं संघ परिवार हमेशा ही अखण्ड भारत को लेकर संशय मे रहते हैं।

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