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Indian Currency Printing Cost : भारत मे पैसा छापने मे कितना खर्चा लगता है ?

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Indian Currency Printing Cost

हम जानते हैं कि हर देश कि मुद्रा अलग अलग होती है और सरकार ही इस मुद्रे को छापती है। इस मुद्रे को कई तरह के नोट और सिक्कों मे बांट कर छापा या बनाया जाता है।

सरकार ज़रूरत के हिसाब से पैसो को मार्केट मे लाती है। अगर मार्केट मे ज़्यादा मुद्रा आ जाते हैं तो सरकार बैंक द्वारा लोगो के पैसे फिर से बैंक मे डलवा देती है।

हमारे देश कि सेंट्रल बैंक जिसका नाम रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया है, वही सरकार के कहने पे पैसे छापती है। हमने तरह तरह सिक्के और नोट देखे होंगे।

तो आइये जानते हैं Indian Currency Printing Cost.

10 रुपये के नोट को छापने के लिए सरकार को सिर्फ 96 पैसे का खर्च आता है।

50 रुपये के नोट को बनाने मे 1 रुपये और 13 पैसे का खर्च आता है। जबकि मार्केट मे सबसे ज़्यादा उपयोग होने वाला 100 रुपये के नोट के लिए 1 रुपये 78 पैसे का खर्च आता है।

500 रुपये के नोट को बनाने मे 2 रुपये और 29 पैसे का खर्च आता है। भारत के सबसे बड़े नोट 2000 रुपये को छापने के लिए 3 रुपये 11 पैसे का खर्च आता है।

Indian Currency Printing Cost.

Indian Currency Printing

लेकिन सिक्कों को बनाने मे ज़्यादा पैसो को खर्च करनी पड़ती है क्यूंकि सिक्के धातु के बने होते हैं।

1 रुपये को सिक्के को बनाने के लिए 1 रुपये और 11 पैसे कि लागत आती है।

2 रुपये के सिक्के के लिए 1 रुपये 78 पैसे का खर्च आता है। और 5 रुपये के सिक्के को बनाने मे सरकार को 3 रुपये और 69 पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

10 रुपये के सिक्के के लिए सरकार को 5 रुपये 54 पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

अगर हम देखे तो सिक्कों को बनाने मे नोट से ज़्यादा खर्चे करने पड़ते हैं। और अगर एक रुपये की सिक्के कि बात कि जाए तो उसे बनाने मे उसकी कीमत से ज़्यादा पैसे खर्च हो जाता है।

अगर आपके भी दिमाग़ मे ये सवाल आता है कि फिर सरकार सिर्फ नोट ही क्यों नही छाप लेती? तो चलिए हम आपके सवाल का जवाब दे देते हैं।

जितने भी नोट होते हैं वो बार बार इस्तेमाल होने के कारण कुछ सालों मे गल जाते हैं और फिर जल्द ही फट जाते हैं इस लिए सरकार को हर साल नए नए नोटों को छापना पड़ता है लेकिन जो सिक्के एक बार बना दिये जाते हैं वो कम से कम 15 साल आराम से चलते हैं और वो जल्दी खराब भी नही होते हैं और अगर कभी सरकार को सिक्के बंद भी करने पड़े तो सरकार उन्ही सिक्कों को गला कर नए सिक्के तैयार कर लेती है।

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