What is uniform civil code in Hindi :
जब हमारा संविधान बनाया गया था तो भारत देश उतना विकसित नही था इसी वजह से बहुत से ऐसे कानून जो विकसित देशों ने होता है, वैसे कानून भारत के लिए बनाया तो गया लेकिन उसे लागू नही किया गया क्यूंकि इन सब कानून को लागू करने के लिए भारत को और विकास की ज़रूरत थी।
या फिर भारतीय लोगों को और ज़्यादा शिक्षा कि ज़रूरत थी। इसी वजह से ऐसे कानून को हमारे संविधान के भाग 4 मे रखा गया। भाग 4 मे अनुच्छेद 35-51 का वर्णन किया गया है। हमारे संविधान के भाग 4 के सभी कानूनों को राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principle of State Policy) के नाम से जानते हैं।
इसका ये मतलब है कि हमारा संविधान, भारत सरकार से ये अनुरोध करता है कि जब भारत, विकास की उस ऊँचाई पर पहुँच जाये तब इस क़ानून को लागू कर देना चाहिए।
जैसा के हमने ऊपर बताया कि भाग 4 मे अनुच्छेद 35 से लेकर अनुच्छेद 51 तक का वर्णन किया गया है। इन्ही मे एक अनुच्छेद 44 है जिसमे सामान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे मे लिखा गया है।
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1) Article 44 kya hai? अनुच्छेद 44 क्या है?
आर्टिकल 44 मे सामान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे लिखा हुआ है। समान नागरिक संहिता असल मे एक देश एक कानून की अवधारणा पर आधारित है। इसके अनुसार सभी धर्मो के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत (संपत्ति का अधिग्रहण), गोद लेने जैसे क़ानून समान रहेंगे।
2) Why India need Uniform Civil Code? भारत को सामान नागरिक संहिता कि ज़रूरत क्यों है?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना मे ये बताया गया है कि भारत एक पंथ-निरपेक्ष (Secular) राष्ट्र है। इसका मतलब ये होता है कि भारत सरकार किसी एक धर्म का प्रचार प्रसार नही करेगी, इसके अलावा भारत का कोई अपना राष्ट्रीय धर्म नही होगा।
इसके तहत सभी धर्म के लोग (जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि ) अपने अपने धर्म से संबंधित अपना कानून बना सकते हैं। इसी वजह से दो प्रकार से पर्सनल लॉ हैं। पहला हिन्दू मैरिज एक्ट 1956 है जिसमे हिन्दू, सिख,जैन इत्यादि के लिए कानून लिखें हुए हैं। दूसरा है मुस्लिम पर्सनल लॉ जो मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों पर लगता है।
क्यूंकि मुस्लिम धर्म के अलावा सभी धर्मों के लिए भारतीय संविधान के तहत हिन्दू मैरिज एक्ट 1956 बनाया गया है। भारतीय सरकार को अब लगता है कि समय आ गया है कि अब पूरे देश मे समान नागरिक संहिता लागू कर दिया जाए। इसलिए सरकार कि कोशिश है कि भारत मे जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता लागू किया जाए।

3) Uniform Civil Code In India. भारत के किन राज्यों मे हैं समान नागरिक संहिता?
भारत देश मे समान नगरनागरिक संहिता लागू करने की बात की जा रही है। लेकिन भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ पर समान नागरिक संहिता लागू बहुत पहले ही हो चूका है। साल 1961 तक गोवा पुर्तगाल के कबजे मे था। और पुर्तगाल ने ही साल 1867 मे गोवा मे समान नागरिक संहिता लागू करवाया था। और तबसे गोवा मे समान नागरिक संहिता लागू रह गया।
भारत के उत्तराखंड राज्य मे भी Uniform Civil Code लागू करने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।
4) भारत मे सबसे पहले 1835 मे शुरू हुई थी इसकी चर्चा।
ब्रिटेन कि सरकार ने भारत मे पहली बार 1835 मे समान नागरिक संहिता कि अवधारणा पेश की थी। जबकी उसमे मुस्लिम और हिन्दू के पर्सनल लॉ को इससे बाहर रखा गया था। ये सिविल जाति के आधार ओर बनाया गया था।
5) किन देशों मे लागू है समान नागरिक संहिता? Uniform Civil Code In other countries.
यूरोप के ज़्यादातर देश तथा अमेरीका धर्मनिरपेक्ष देश है जिसके वजह से वहाँ पर धर्मनिरपेक्ष क़ानून बनाये गए हैं। ये क़ानून उन सभी देशों के नागरिकों पर लागू होते हैं चाहे वो किसी भी धर्म के हों।
I) रोम (Rome)
दुनिया मे सबसे पहले समान नागरिक संहिता का इस्तेमाल रोम मे किया गया था। कहा जाता है कि सन 527 मे रोम के सम्राट जस्टिनियन ने अपने सभी प्रजा संहिता बनाया था। जिसके बाद इस कांसेप्ट को दुनिया के कई और कोने मे अपनाया गया। तब से लेकर आजतक इटली देश मे समान नागरिक संहिता कायम है।
II) फ्रांस(France)
नेपोलियन ने 1804 मे सिविल कोड ऑफ़ लाया था जिसमे 300 से ज़्यादा लोकल नागरिक कानूनों को बदल दिया। इस क़ानून ने विशेषाधिकार और समानता, रीति-रिवाजों और कानूनी ज़रूरतों के बीच संतुलन स्थापित किया।
III) अमेरिका(USA)
भारत कि तरह अमेरिका मे भी विविधता पायी जाती है इसके बावजूद वहाँ पर सिविल कोड लागू किया गया है. लेकिन यहाँ का सिविल कोड धर्म के आधार पर नही है।